हाथरस, उत्तर प्रदेश में जन्मे रोहित अग्रवाल लेखक होने के साथ बतौर सहायक प्रबंधक के रूप में गुडगाँव में जॉब भी करते हैं। कहानी और कविताओं में उनकी रुचि ग्रैजुएशन के शुरुआती दिनों से ही हो गई थी उन्हें कहानी कविता लिखने पढ़ने मैं खासी रुचि है उनकी कविताएँ आज के युवा पीढ़ी के दिल को धड़काने का दमखम रखती है
"चुल्लू भर इश्क" रोहित की पहली किताब है।
"अभी युवा हो तो मत गवाओ जवानी को पलटकर किताब, पड़ोहर कहानी को "
न जाने किस कहानी की स्याही आपके दिल पर जाकर बसेरा कर ले।
~ प्रकाशक
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]]>मेरा प्रथम काव्य संग्रह 'तुम अगर होते' मेरे जीवन की एक बहुमूल्य उपलब्धि है जिसने एक इतिहासकार को एक कवयित्री के सांचे में ढाल संवेदनशील बना दिया है। यह काव्य संग्रह मेरे प्रियवर स्वर्गीय श्री राजीव वर्मा को एक सप्रेम श्रद्धांजलि है ।
इन कविताओं के माध्यम से मैंने अपने प्रियतम से मिलने और बिछुड़ने के एहसासों को कलमबद्ध कर उनके साथ बिताए सुखद लम्हों को एक बार फिर से जीने का प्रयास किया है। यह कविताएं महज कविताएं ही नहीं है यह मेरे चार दशकों के रिसते दर्द की अभिव्यक्ति है । अपने प्रेम को खोने के गम और कई सालों के अकेलेपन की दास्तान को मैंने लफ्जों में पिरोने का प्रयास किया है। काव्य संग्रह 'तुम अगर होते' में लिखी कविताओं के माध्यम से मैंने अपने हृदय के खालीपन और अपनी उम्र के इस पड़ाव पर अपने जीवन साथी की कमी को हुए कहीं ना कहीं उनके लौट आने की उत्कंठा व्यक्त की है।
-प्रो. (डॉ.) मंजू वर्मा
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]]>जैसा कि मुझे लेखकों द्वारा अवगत कराया गया है कि यह पुस्तक पीठ के निचले हिस्से के दर्द से पीड़ित सभी लोगों के लिए मार्गदर्शन करेगी और उन लोगों के लिए भी जो एक स्वस्थ सक्रिय दर्द मुक्त जीवन जीना चाहते हैं। यह पुस्तक सरल भाषा में लिखी गई है और पीठ दर्द और रिकवरी से निपटने के लिए आसनों के उदाहरण चित्रों के साथ आसान जानकारी और निर्देश प्रदान करती है।
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]]>श्री तिलक सेठी जी द्वारा रचित ग़ज़लों के इस प्रथम संकलन 'ग़ज़लांजलि' में एक अद्भुत सम्मोहन है। यह ग़ज़ल संग्रह इनकी काव्य प्रतिभा का अमिट हस्ताक्षर है। एक के बाद एक, हर ग़ज़ल बेहतरीन है, हर शेर बहुत उम्दा है तथा जीवन के फ़लसफ़े को इतनी खूबसूरती के साथ कलमबद्ध करने का एक सफल व सार्थक प्रयास है। निश्चित रूप से, इनकी यह कृति इनके काव्य-प्रधान व्यक्तित्व की प्रति छाया है।
डॉ. सेठी की लिखी हुई चार पंक्तियां मेरे दिल के बहुत करीब हैं-
कहकशाँ का एक ज़र्रा भी नहीं है ये ज़मीं
फिर बता औकात तेरी क्या भला है आदमी
चन्द्र सांसें ले के आया है ज़मीं का हर बशर
सोचता है वो मगर खुद को ख़ुदा से कम नहीं
मैं, डॉ. तिलक सेठी को इनके इस सार्थक साहित्यिक प्रयास के लिए बधाई देता हूं और इनके स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए यह विश्वास प्रकट करता हूँ कि यह काव्य संग्रह पाठकों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
-प्रोफेसर एच.एल. वर्मा,
कुलपति जगन्नाथ विश्वविद्यालय, जयपुर
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]]>योगवासिष्ठ बहुत ही अद्भुत ग्रन्थ है जो अद्वैत वेदान्त के हर सिद्धान्त की चर्चा करता है परन्तु यह इतना विशाल है कि विद्वान् भी इसे पढ़ने से कतराते हैं। इस बात को ध्यान में रख कर डा. कुलदीप धीमान ने इस ग्रन्थ के चौबीस हज़ार श्लोकों के सार को संक्षेप से सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास किया है। उनकी यह रचना अंग्रेज़ी में भी उपलब्ध है। इससे पहले उन्होंने आचार्य रजनीश ओशो के विचारों को 'परम विद्रोही' पुस्तक में प्रस्तुत किया है। हाल ही में उनके पतञ्जलि योगसूत्र के व्यासभाष्य का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुआ है। शैवीय तन्त्र पर उनका शोधकार्य प्रकाशनाधीन है। डा. धीमान बीस वर्षों से पुनर्जन्म पर भी शोधकार्य कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उन्हें अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। अब वे साङ्कख्य दर्शन पर कार्यरत हैं।
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]]>डॉक्टर निशा भार्गव ऊर्जा अर्थशास्त्र में पीएच.डी. और मेहरचंद महाजन डी.ए.वी. कॉलेज चंडीगढ़ की प्रिंसिपल हैं। 25 वर्ष तक डी.ए.वी. कॉलेज होशियारपुर में अर्थशास्त्र की अध्यापिका रही हैं। वर्ष 2016 से पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट की मेम्बर हैं और यूनिवर्सिटी की कई महत्वपूर्ण कमेटियों की भी मेम्बर हैं। स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी चंडीगढ़ की सदस्या भी रही हैं। वो नैक पीयर टीम की भी सदस्या हैं। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में उनके शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं तथा वो एल्सवीयर जर्नल, एनर्जी एंड बिल्डिंग्स की समीक्षक हैं। उर्जा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनकी शोध आधारित तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वे कई डी.ए.वी. संस्थानों की स्थानीय प्रबंधक समितियों की सदस्या हैं। वे कविता लिखने में रुचि रखती हैं और उनका एक काव्य संग्रह ‘सफर है जिंदगी’ प्रकाशित हो चुका है और उनकी कविताएँ समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों के आधार पर वे आशावादी एवं यथार्थवादी कविताएँ लिखती हैं।
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]]>‘एहसास’ को ‘सोच’ के वस्त्र पहनाकर शब्दों का रूप देने से कविता का जन्म होता है तथा जिस प्रकार फूलों के कई पौधों का एक स्थान पर रोपन कर देने से उपवन बन जाता है ठीक उसी प्रकार कई कविताओं के समूह को काव्य कहते हैं। जैसे उपवन में कई किस्म के फूल लगाए जाते हैं जैसे गुलाब, चंपा, चमेली, मोतिया, रात की रानी आदिए उसी प्रकार काव्य में भिन्न-भिन्न विषयों पर भिन्न-भिन्न एहसासों को कवि भिन्न- भिन्न प्रकार से व्यक्त करता है।
प्रस्तुत कृति में मैंने कई विषयों पर जैसे सृष्टि की उत्पत्ति पर्यावरण प्रदुषण व नियंत्रण, सामाजिक कुरीतियां, इतिहास, प्रकृति व मनोरंजन आदि विषयों पर अपने विचारों को कविता के माध्यम से आप लोगों के साथ बांटने का विनम्र प्रयत्न किया है।
इंजी. केवल कृष्ण गुप्ता
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